सीता माता के जन्म का रहस्य।
*************************
सीता रावण और मंदोदरी की बेटी थी इसके पीछे बहुत बड़ा कारण थी वेदवती .
सीता वेदवती का पुनर्जन्म जन्म थी .वेदवती एक बहुत सुंदर, सुशिल धार्मिक
कन्या थी जो कि भगवान विष्णु की उपासक थी और उन्ही से विवाह करना चाहती
थी । अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए वेदवती ने कठिन तपस्या की। उसने
सांसारिक जीवन छोड़ स्वयं को तपस्या में लीन कर दिया था। वेदवती उपवन में
कुटिया बनाकर रहने लगी। एक दिन वेदवती उपवन में तपस्या कर रही थी। तब ही
रावण वहां से निकला और वेदवती के स्वरूप को देख उस पर मोहित हो गया और
उसने वेदवती के साथ दुर्व्यवहार करना चाहा, जिस कारण वेदवती ने हवन कुंड
में कूदकर आत्मदाह कर लिया और वेदवती ने ही मरने से पूर्व रावण को श्राप
दिया कि वो खुद रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेगी और रावण की मृत्यु
का कारण बनेगी। कुछ समय बाद दण्डकारण्य मे गृत्स्मद नामक ब्राह्मण
,लक्ष्मी को पुत्री रूप मे पाने की कामना से, प्रतिदिन एक कलश मे कुश के
अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूँदें डालता था । एक दिन उसकी
अनुपस्थिति मे रावण वहाँ पहुँचा और ऋषियों को तेजहत करने के लिये उन्हें
घायल कर उनका रक्त उसी कलश मे एकत्र कर लंका ले गया।कलश को उसने मंदोदरी
के संरक्षण मे दे दिया-यह कह कर कि यह तीक्ष्ण विष है, सावधानी से रखे।
कुछ समय पश्चात् रावण विहार करने सह्याद्रि पर्वत पर चला गया।रावण की
उपेक्षा से खिन्न होकर मन्दोदरी ने मृत्यु के वरण हेतु उस कलश का पदार्थ
पी लिया।लक्ष्मी के आधारभूत दूध से मिश्रित होने के कारण उसका प्रभाव
पडा। मन्दोदरी मे गर्भ के लक्षण प्रकट होने लगे। मंदोदरी को पुत्री
प्राप्त हुई। अनिष्ठ की आशंकाओं से भीत मंदोदरी ने उसे जन्म लेते ही सागर
में फेंक दिया। सागर में डूबती वह कन्या सागर की देवी वरुणी को मिली और
वरुणी ने उसे धरती देवी को सौंप दिया। और धरती देवी ने उस कन्या को राजा
सीरध्वज जनक और माता सुनैना को सौंप दिया, जिसके बाद वह कन्या सीता के
रूप में जानी गई और बाद में इसी सीता के अपहरण के कारण भगवान राम ने रावण
का वध किया। अद्भुत रामायण में उल्लेख है कि 'रावण कहता है कि जब मैं
भूलवश अपनी पुत्री से प्रणय की इच्छा करूं तब वही मेरी मृत्यु का कारण
बने।'
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.